न हिन्दू मुसलमान को समझता है ,
न मुसलमान हिन्दू को समझता है
न हिन्दू हिन्दुत्वा को समझता है ,
न मुस्लिम मुस्सल्लम ईमान को समझता है |
आखिर ये लोग समझते क्या हैं फिर ?
कट्टरता बर्बरता और अपने रसूल ,
कुरीतियाँ थोथापन और बातें फ़िज़ूल ,
सुख शांति और छोड़ के चैन-ओ-अमन
करते रहते हैं दंगे और विष वमन |
इनको इनके इष्ट और खुदा जानते होंगे
भटके पथिक की मानसिकता पहचानते होंगे
शर्मसार होती मानवता को तो जानते होंगे
बढ़ती हुई दानवता और हविश को मानते होंगे |
फिर खुदा ने अलग किस्म के प्राणी बनाये
जिन्होंने सामुदायिक ताने बाने को समझा
अपना गणित बिठाया ,भावनाएं भड़काए
अपने स्वार्थवश औरों के चूल्हे दिए बुझा |
धु-धु जलती श्मशान पे अपना हित साधते हैं
चुनावी मौसम में मेढकों से टरटराते हैं
वोट की खातिर कुछ भी कर जाते हैं
ऐसे समझदार प्राणी नेता कहलाते हैं |
©रतीश
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