जो तुममें प्यार जगा दे वही संगिनि जो तुम्हे जीना सीखा दे वही संगिनि जो लहरों से टकराये ,साथ तूफानी दरिया पार कर जाए वही संगिनी
प्रेरणा पाकर जब निखर उठे लेखनी रूप श्रृंगार पे जो खिल उठे वो संगिनी
प्रेम मनुहार पे सकुचाति पिया जो प्रेम आलिंगन में घुल जाये वो संगिनी
जो संघर्ष में सहर्ष हो साथ जो उत्कर्ष में हाथ में डाले हाथ पिया की प्रेम सुधा बने वही संगिनी
प्रेरणा पाकर जब निखर उठे लेखनी रूप श्रृंगार पे जो खिल उठे वो संगिनी
प्रेम मनुहार पे सकुचाति पिया जो प्रेम आलिंगन में घुल जाये वो संगिनी
जो संघर्ष में सहर्ष हो साथ जो उत्कर्ष में हाथ में डाले हाथ पिया की प्रेम सुधा बने वही संगिनी
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