अनुराग कश्यप ने भारत के प्रधान सेवक पर प्रश्न उठाये हैं! बिलकुल आपका हक़ है ये की अपने प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा कीजिये । लेकिन कोइ सॉलिड मुद्दा तो होना चाहिए । मैं पूछता हूँ की पाकिस्तानी को काम पे नहीं लिए होते तो तुम्हे क्रिएटिव लिबर्टी नहीं मिलती ? तुम्हारे जैसे लोगों के लिए फिल्म बनाना जूनून है लेकिन इसका ये मतलब थोड़े ही है की राष्ट्रहित को ताक पे रख दो. उनका भी ख्याल करो जिनके लिए राष्ट्र की रक्षा ही उसका जूनून है. सैनिक राष्ट्र की सेवा करते हैं जब हालात ऐसे हों तो प्रधान सेवक से प्रश्न करने से पहले ये तो सोच लो की तुम्हारे वक्तव्य से उनका मनोबल भी तो गिरता है. सबके मनोबल की जिम्मेदारी प्रधान सेवक की है लेकिन उसके मनोबल को भी तो बनाये रखना है ! मुझे लगता है गलती तुम्हारी नहीं है , तुम्हारा चुना हुआ प्रोफेशन ही ऐसा है जहाँ आधे से ज्यादा लोग अधकपाड़ी होते हैं. फ़िल्मी लोग ऐसै ही होते हैं , रील की दुनिया ही उन्हें अपनी लगती है । तुम्हारे लिए फिल्मे बनाना सबकुछ नहीं होना चाहिए । माना कि फिल्मों के लिए जुनूनी हो लेकिन थोड़ा जूनून देश के लिए भी रखो फिर देखो !
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