पूँजी भी अपनी है ,बैंककर्मी भी अपने हैं , सरकार भी अपनी है और नेता भी अपने हैं | भ्रष्टाचार भी अपना है , घूसखोरी भी अपनी है ,जमाखोरी भी अपनी है और मिलावटखोरी भी अपनी है । दुराचार भी अपना है , अनाचार भी अपना है , कदाचार भी अपना है और व्यभिचार भी अपना है । फिर क्यों कहते हैं यात्रा अंतहीन है , इसमें प्रजा भटकते हुए त्रस्त है , । अगर कुछ अपना नहीं है तो ये व्यवस्था , शिक्षा ,गुण और संस्कार । ब्रितानी सँस्कारो में पले नेहरू ने देश को रखा गिरवी और बाकी कसर इंदिरा,राजीव और सोनिया ने पूरी करदी ।
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