Chilchilati dhoop mein
Chhaon dhoondhne baitha
Main ek ped ke neechay
Sahsa ek phool aake gira
Meri goad mein
Maine saharsh uthaya
Us pyare se phool ko
Soonghne ke chesta ki
Uski sugandh ki jad mei
Aake bol utha yahi hai
Prakriti ka komal sparsh
कहते हैं " हवा पानी हो शुद्ध महात्मा बुद्ध "
हमारे प्राण के लिए प्रकृति के सबसे महत्वपूर्ण घटक हैं प्राणवायु और जल | इनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है | जल के बिना आप २ या ३ दिन , मगर इससे ज़्यादा जीने की कल्पना असंभव है और वायु के बगैर तो शायद २ या ३ मिनट भी नहीं | दिल्ली में एक आंकड़े की माने तो 40 % बच्चे किसी न किसी सांस के रोग से ग्रस्त होते हैं और कुछ तो फेफड़ों के गंभीर बिमारिओं से ग्रस्त होते हैं. | इन बच्चोँ का यही दोष है न कि ये दिल्ली एनसीआर जैसे महानगर में पलते बढ़ते हैं |
अब आइये देखते हैं दूसरा पहलू , यमुना जो दिल्ली एनसीआर के पानी का सबसे बड़ा श्रोत होता परन्तु है नहीं | जानते हैं क्यों ? क्यूंकि हम, आप और औद्योगिक कचड़े की वजह से यह दुनिया की सबसे गन्दी नदियों में शुमार है | कुछ दिन पहले दिल्ली चुनाव के समय गन्दा पानी एक बड़ा चुनावी मुद्दा था | लोगों के लिए पानी दुसरे राज्यों से पाइप द्वारा मंगवाया जाता है जबकि यमुना जैसी नदी के किनारे हम बसे हैं | कोरोना की वजह से उत्तपन्न हालात ने लॉकडाउन करा दिया और यमुना 6 0 % तक साफ़ हो गयी है | जिस नदी में झाग और काला पानी होता था वहां आप साफ़ पानी देख सकते हैं ( आजतक की रिपोर्ट )| हजारों करोड़ खर्च करके जो साफ़ न हुई वो लॉकडाउन की वजह से हो गयी | खुश हो गए ! लेकिन आपकी ख़ुशी जल्द ही ख़त्म हो जाएगी क्यूंकि आप और हम और उद्योग फिर उसी प्रदुषण को जल्दी ही पा लेंगे |
एक और पहलु है और वो है प्राणवायु की जो की लाख कोशिशों के बावज़ूद स्वच्छ नहीं हो पायी , वो भी लॉकडाउन में साफ़ हो गयी है. लगता है पर्यावरण ने रीबूट किया है | हम लगातार ऐसे साधनो प्रयोग करते हैं जो की प्रदुषण के सारे तत्त्व बढ़ने में सहायक होती है जैसे अत्यधिक मोटर व्हीकल , एयर कंडीशनर इत्यादि |
क्या आपको नहीं लगता की प्रदूषण की चेन भी टूटनी चाहिए और प्रकृति को रीबूट का अवसर मिलना चाहिए ?
कम से कम हम अपने बच्चों को साफ़ हवा और साफ़ पानी तो दे सकते हैं. क्यों न हम पर्यावरण को साफ़ रखने में हम अपना योगदान दे सकते हैं | क्यों न एक मुहीम चले और स्वजागरण के तहत हम सरकार को भी सहभागी बनाये ? क्या कहते हैं आप ?
Chhaon dhoondhne baitha
Main ek ped ke neechay
Sahsa ek phool aake gira
Meri goad mein
Maine saharsh uthaya
Us pyare se phool ko
Soonghne ke chesta ki
Uski sugandh ki jad mei
Aake bol utha yahi hai
Prakriti ka komal sparsh
कहते हैं " हवा पानी हो शुद्ध महात्मा बुद्ध "
हमारे प्राण के लिए प्रकृति के सबसे महत्वपूर्ण घटक हैं प्राणवायु और जल | इनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है | जल के बिना आप २ या ३ दिन , मगर इससे ज़्यादा जीने की कल्पना असंभव है और वायु के बगैर तो शायद २ या ३ मिनट भी नहीं | दिल्ली में एक आंकड़े की माने तो 40 % बच्चे किसी न किसी सांस के रोग से ग्रस्त होते हैं और कुछ तो फेफड़ों के गंभीर बिमारिओं से ग्रस्त होते हैं. | इन बच्चोँ का यही दोष है न कि ये दिल्ली एनसीआर जैसे महानगर में पलते बढ़ते हैं |
अब आइये देखते हैं दूसरा पहलू , यमुना जो दिल्ली एनसीआर के पानी का सबसे बड़ा श्रोत होता परन्तु है नहीं | जानते हैं क्यों ? क्यूंकि हम, आप और औद्योगिक कचड़े की वजह से यह दुनिया की सबसे गन्दी नदियों में शुमार है | कुछ दिन पहले दिल्ली चुनाव के समय गन्दा पानी एक बड़ा चुनावी मुद्दा था | लोगों के लिए पानी दुसरे राज्यों से पाइप द्वारा मंगवाया जाता है जबकि यमुना जैसी नदी के किनारे हम बसे हैं | कोरोना की वजह से उत्तपन्न हालात ने लॉकडाउन करा दिया और यमुना 6 0 % तक साफ़ हो गयी है | जिस नदी में झाग और काला पानी होता था वहां आप साफ़ पानी देख सकते हैं ( आजतक की रिपोर्ट )| हजारों करोड़ खर्च करके जो साफ़ न हुई वो लॉकडाउन की वजह से हो गयी | खुश हो गए ! लेकिन आपकी ख़ुशी जल्द ही ख़त्म हो जाएगी क्यूंकि आप और हम और उद्योग फिर उसी प्रदुषण को जल्दी ही पा लेंगे |
एक और पहलु है और वो है प्राणवायु की जो की लाख कोशिशों के बावज़ूद स्वच्छ नहीं हो पायी , वो भी लॉकडाउन में साफ़ हो गयी है. लगता है पर्यावरण ने रीबूट किया है | हम लगातार ऐसे साधनो प्रयोग करते हैं जो की प्रदुषण के सारे तत्त्व बढ़ने में सहायक होती है जैसे अत्यधिक मोटर व्हीकल , एयर कंडीशनर इत्यादि |
क्या आपको नहीं लगता की प्रदूषण की चेन भी टूटनी चाहिए और प्रकृति को रीबूट का अवसर मिलना चाहिए ?
कम से कम हम अपने बच्चों को साफ़ हवा और साफ़ पानी तो दे सकते हैं. क्यों न हम पर्यावरण को साफ़ रखने में हम अपना योगदान दे सकते हैं | क्यों न एक मुहीम चले और स्वजागरण के तहत हम सरकार को भी सहभागी बनाये ? क्या कहते हैं आप ?
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