Friday, May 7, 2021

Chilchilati   dhoop  mein 

Chhaon dhoondhne baitha
Main ek ped ke neechay
Sahsa ek phool aake gira
Meri goad mein
Maine saharsh uthaya
Us pyare se phool ko
Soonghne ke chesta ki
Uski sugandh ki jad mei
Aake bol utha yahi hai
Prakriti ka komal sparsh

चिलचिलाती धूप में 
छांव ढूंढ कर बैठा 
मैं एक पेड़ के नीचे
सहसा एक पूल अकेगिरा 
मेरी गोद में 
मैने सहर्ष उठाया 
उस प्यारे से फूल को
सूंधने की चेष्टा की 
उसकी सुगंधकी जद में
आके बोल उठा यही है
प्रकृति का कोमल स्पर्श

नित्यांश 10इ


Sunday, May 17, 2020

शिक्षा आंदोलन - विद्यालयों की मनमानी

आंदोलन को ऐसे लड़िये
जब फीस माफ़ी हो जाये
तो बच्चो को निकालिये
पैसाखोर स्कूलों से
और डालिये सरकारी में
फिर आंदोलन कीजिये
सरकारी अच्छा पढ़ाएं |
आखिर जब हम
देने में सक्षम नहीं
तो क्यों पढ़ाएं महंगे में
जब सस्ता उपलब्ध हो
तो काम चलाएं सस्ते में |
जिनका साल हो बोर्ड का
उनकी फीस भरे सरकार
नहीं तो के.वी. ले प्रवेश
हो बच्चों  का उद्धार |







Saturday, February 22, 2020

ज़रा इस आदमी को जगाओ !

भई, सूरज
ज़रा इस आदमी को जगाओ !
भई, पवन
ज़रा इस आदमी को जगाओ !
यह आदमी जो सोया पड़ा है,
जो सच से बेखबर
सपनों मेँ खोया पड़ा है।
भई, पंछी
इसके कानों पर चिल्लाओ!
भई सूरज! ज़रा इस आदमी को जगाओ !
वक्त पर जगाओ,
नहीं तो जब बेवक्त जगेगा वह
तो जो आगे निकल गए हैं
उन्हें पाने-
घबरा के भागेगा यह !
घबड़ा के भागना अलग है,
क्षिप्र गति अलग है,
क्षिप्र तो वह है
जो सही क्षण मे सजग है ।
सूरज, इसे जगाओ
पवन,इसे हिलाओ,
पंछी , इसके कानो पर चिल्लाओ !
11052078060557

Thursday, January 16, 2020

धरा पुकार रही

बची तृष्णा और 'मैं' को होलिका दहन में भस्म कर दो
चीर गगन को हुंकार भरो और उद्घोष कर दो
आ रहे हैं रण में  मौर्यवंशी शौर्य पताखा लहराकर
पाञ्चजन्य  शंखनाद से शत्रु के हृदय को विदीर्ण कर दो
बची हुई जो मृग अभिलाषा , उसको जीर्ण कर दो
उठो धरतीपुत्र धरा पुकार रही है यह बतलाकर
किञ्चित  नहीं मिलेगा ये अवसर, रक़्त को शुद्ध कर दो
वीर प्रबुद्ध ललकार प्रचंड , विकराल दैत्य का घमंड तोड़ दो

@रतीश 

Wednesday, September 26, 2018

मैं पूर्वाग्रही नहीं हूँ

मैं पूर्वाग्रही नहीं हूँ और न ही डाटा एनालिटिक्स. ..  अरे वही कैंब्रिज अनलिटिका वाले के तरह। ....लेकिन मैंने ये कविता फिर से पोस्ट की उसका मकसद था। ....... अब आप देखिये दो घटना यूपी में ही हो गयी। .... . १. संगीत सोम पे हमला और वो भी कैंटोनमेंट  एरिया में
  २. हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के वाला केस जिसमे पुलिस वाले शामिल थे
साहब चुनाव पास है। ....... और जरूरी नहीं है काण्ड उसी राज्य में हो जिसमे चुनाव हो। ... भावनाएं अब सोशल मीडिया के जरिये भड़काए जाते हैं। .... लेकिन कौन है जो इसका फायदा उठाना चाहता है। ... संगीत जी ठाकुर हैं और चुनाव दो प्रमुख राज्यों में है। ..मध्य प्रदेश और राजस्थान  ठाकुर कम्युनिटी वनरेबल है सत्ताधारी के लिए और हिन्दू मुस्लिम तो सदा के लिए मुद्दा रहता  ही है। कांग्रेस को मुस्लिम वोट खिसकता दिख रहा है खासतौर पर मुस्लिम वोट। ..तो  आने वाले दिनों में तैयार रहिये  कुछ और स्कैंडल्स के लिए

®atish 27th Sep 2018

Tuesday, September 25, 2018

नेताओं की परिभाषा

न हिन्दू मुसलमान को समझता है ,
न मुसलमान हिन्दू को समझता है 
न हिन्दू हिन्दुत्वा को समझता है ,
न मुस्लिम मुस्सल्लम ईमान को समझता है | 

आखिर ये लोग समझते क्या हैं फिर ?
कट्टरता बर्बरता और अपने रसूल ,
कुरीतियाँ थोथापन और बातें फ़िज़ूल ,
सुख शांति और छोड़ के चैन-ओ-अमन 
करते रहते हैं दंगे और विष वमन | 

इनको इनके इष्ट और खुदा जानते होंगे 
भटके पथिक की मानसिकता पहचानते होंगे 
शर्मसार होती मानवता को तो  जानते होंगे 
बढ़ती हुई दानवता और हविश को मानते होंगे | 

फिर खुदा ने अलग किस्म के प्राणी बनाये 
जिन्होंने सामुदायिक ताने बाने को समझा 
अपना गणित बिठाया ,भावनाएं भड़काए 
अपने स्वार्थवश औरों के चूल्हे दिए बुझा | 

धु-धु जलती श्मशान पे अपना हित साधते हैं 
चुनावी मौसम में मेढकों से टरटराते हैं 
वोट की खातिर कुछ भी कर जाते हैं 
ऐसे समझदार प्राणी नेता कहलाते हैं | 

©रतीश 



Sunday, February 11, 2018

जब विश्वास टूट जाता है 
लहरें अधीर हो जाती हैं
किनारों को तोडना चाहती हैं , l
घात ये विश्वास का जिसपे
तिकी है नीव अट्टालिका की ,     
कब तक इसे बचाऊँगा   
और विश्वासपात्र रह पाऊँगा.
 मैं स्वान नहीं प्रिये मनुज हूँ
थोड़ी करू मनमानी,
तुम नहीं समझी भलमानस को ,
नहीं इसमें तेरी नादानी
अब ऊब चूका हूँ उन ध्वनि तरंगों से
जिसके सुनने की क्षमता नहीं,
कुछ भी कर लो मैं अब
तुम में मन रमता नहीं,
जो नहीं समझ सकी दर्जन सालों में
अब क्या समझाऊंगा वेदना ,
तुम सुखी रहो बच्चों की बनो प्रेरणा .
तय कर लो अपना नियत स्थान
मेरी राह अब न ताकना,
मैं निर्झर वन का प्राणी
अब निर्वासित मुझको रहना.

Thursday, February 8, 2018

Madhur

maine chidiyon ko chahchahate suna kitni madhur thi wo , swa raag aur sur ka milan madhur sangeet ka laheriyaan. suno to unki jugalbandiyaa. usi ghane ped ke neechay kiski chhaon mei  tum sustate pakshiyaan tumhe kalrav sangeet sunante. jahan tum pran wayu paate wo desh raag gaate . Kitni madhur thi wo. 

Sangini

जो तुममें प्यार जगा दे वही संगिनि                   जो तुम्हे जीना सीखा दे वही संगिनि                जो लहरों से टकराये ,साथ तूफानी                दरिया पार कर जाए वही संगिनी
प्रेरणा पाकर जब निखर उठे लेखनी                रूप श्रृंगार पे जो खिल उठे वो संगिनी
प्रेम मनुहार पे सकुचाति पिया जो                    प्रेम आलिंगन में घुल जाये वो संगिनी
जो संघर्ष में सहर्ष हो साथ                             जो उत्कर्ष में हाथ में डाले हाथ                    पिया की प्रेम सुधा बने वही संगिनी

Saturday, May 20, 2017

अब
धर्म युद्ध
कर देगा अवरुद्ध
अकाल अचिन्त्य का ||
जब वीर प्रबुद्ध
ललकार प्रचंड
तोड़ेगा घमंड
विकराल दैत्य का ||
अब खडग
अरुणिम रक्त
बहेगा अनिरुद्ध
भाल क्षत्रिये का ||
कंपित धरा
हुंकार गगन
कर देगा शुद्ध
बीज मानवता का ||
@रतीश