Saturday, November 15, 2014

कहाँ से लाऊँ इतने बुद्धा

कहाँ से लाऊँ मैं इतने राम की जन जन में रावण बसा है!
कहाँ से लाऊँ मैं इतने श्याम की हर मन में दुर्योधन बसा है!!!!
कहाँ से लाऊँ इतने बुद्धा  यहाँ  कि हर मन में  दावानल  बसा है |
कहाँ  से  लाऊँ इतने  चन्द्रगुप्त  यहाँ कि हरीजन में जीतन बसा   है |
कहाँ से लाऊँ इतने ओजस्वी यहाँ  कि हर जीव में मौन मोहन बसा है ।
कहाँ से लाऊँ इतने तेजस्वी  यहाँ  कि हर तन  में कुम्भकरण  बसा है ।
कहाँ से लाऊँ मैं इतने राम की जन जन में रावण बसा है!
कहाँ से लाऊँ मैं इतने श्याम की हर मन में दुर्योधन बसा है!!!!