Saturday, February 22, 2020

ज़रा इस आदमी को जगाओ !

भई, सूरज
ज़रा इस आदमी को जगाओ !
भई, पवन
ज़रा इस आदमी को जगाओ !
यह आदमी जो सोया पड़ा है,
जो सच से बेखबर
सपनों मेँ खोया पड़ा है।
भई, पंछी
इसके कानों पर चिल्लाओ!
भई सूरज! ज़रा इस आदमी को जगाओ !
वक्त पर जगाओ,
नहीं तो जब बेवक्त जगेगा वह
तो जो आगे निकल गए हैं
उन्हें पाने-
घबरा के भागेगा यह !
घबड़ा के भागना अलग है,
क्षिप्र गति अलग है,
क्षिप्र तो वह है
जो सही क्षण मे सजग है ।
सूरज, इसे जगाओ
पवन,इसे हिलाओ,
पंछी , इसके कानो पर चिल्लाओ !
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